सनातन धर्म परिषद (साहित्य प्रकोष्ठ) तमिलनाडु प इकाई द्वारा दिनांक 25 मई 2023 बृहस्पतिवार शाम 5:00 बजे से आनलाइन विचार गोष्ठी कार्यक्रम का वैचारिक चिंतन, विचारों के साथ संपन्न हो गया।
डॉ अर्चना श्रेया जी ने सनातनीयों की एकता पर बल दिया। सतीश शिकारी जी ने गणेश वंदना के साथ धर्म शब्द की उत्पत्ति के साथ सनातनी परम्पराओं के बारे में विस्तार से बताया। मनोहर मधुकर जी ने कृष्ण के भजन के साथ सनातन के लिए धरातल पर कार्य न करने को लेकर सनातन धर्मियों को खरी खरी सुनाई। आदरणीय प्रवल प्रताप सिंह राणा 'प्रवल' जी (साप्ताहिक ई पत्रिका शब्द शब्द दर्पण के उपसम्पादक) ने वर्ण व्यवस्था पर जोर देते हुए कहा कि अपने वर्ण के साथ कैसे हम सनातन को आगे बढ़ा सकते हैं। अन्य सम्प्रदाय में वर्ण व्यवस्था है, अन्य संप्रदाय में भी वर्ण या जातियों को लेकर विकट मतभेद व लड़ाईयाँ है लेकिन कैसे वो दूसरे सम्प्रदाय के लिए एकजुट दिखाई डेते हैं। मनोरमा जी ने सनातन संस्कृति की पुरातन पद्धति व वर्ण व्यवस्था पर प्रहार किया। आदरणीय सुश्री रसबिंदु जी ने सनातनियों को जागते रहने व आडंबरों के विरोध पर स्वामी विवेकानंद व महर्षि दयानन्द जी का उदाहरण देकर समझाया। पदमा जोशी जी ने सनातन था, है और रहेगा पर जोर देते हुए गणेश वंदना सुनाई। रमेश द्विवेदी जी ने सनातन के पुरानेपन वैज्ञानिकता पर विश्लेषण करते हुए विदेशी आक्रमनो के होते भी अनवरत चलते सनातन की तारीफ की। प्रतिभा सिंह ने हर घर में रामायण पर जोर देकर बताया कैसे बच्चों को संस्कारवान बनाया जा सकता है।
इंजी. प्रेम प्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि वास्तव में सनातन धर्म वह धर्म है जो हमें संसार की प्रत्येक वस्तु में और हर व्यक्ति में परमात्मा के दर्शन करने की शिक्षा देता है। जहां हम ईश्वर से सभी के स्वस्थ और सुखी रहने की कामना करते हैं, यही सनातन धर्म है ।
सनातन धर्म परिषद संस्थापक आचार्य कन्हैया प्रसाद नौटियाल जी ने सनातन धर्म परिषद की कार्यप्रणाली और सनातनियों को परिषद की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि गंगा जमुनी तहजीब की बात कर सनातनियो ने हमेशा अपना नुकसान किया है। जयचंदो से देश और सनातन को आज भी खतरा है।
मुख्य अतिथि महेश प्रसाद शर्मा ने विस्तार से सनातन को मनुष्य मात्र का बताकर अपनी बात एक कविता के माध्यम से भी रखी।
अध्यक्षीय वक्तव्य में मानव सिंह राणा 'सुओम' ने सभी को समीक्षा प्रस्तुत कर एक वीर रस की कविता सुनाकर सनातन की ताकत को तेवर दिये साथ ही घोषणा की कि
आज ही हमारे सम्पादक मंडल ने यह मन बनाया है कि हमारी पत्रिका "शब्द शब्द दर्पण" में एक पेज केवल सनातन धर्म के लिए निश्चित होगा।
गोष्ठी का समापन करते हुए सनातन धर्म परिषद के राष्ट्रीय सचिव सुधीर श्रीवास्तव ने सभी का आभार, धन्यवाद व्यक्त कर सनातन की ताकत पर जोर दिया।
विचार गोष्ठी में संस्थापक आचार्य कन्हैया प्रसाद नौटियाल,रा.अध्यक्षा डा. अर्चना श्रेया, राष्ट्रीय महासचिव सुधीर श्रीवास्तव की गरिमा मय उपस्थित में गोष्ठी क अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार चिंतक मानव सिंह राणा "सुओम" ने किया, जबकि मुख्य अतिथि महेश प्रसाद शर्मा रहे।
कार्यक्रम का संचालन तमिलनाडु इकाई अध्यक्षा सशक्त कवयित्री डॉ महिमा सिंह ने सुनियोजित ढंग से किया।
गोष्ठी में अन्य शामिल वक्ताओं ने सनातन धर्म के बारे में अपने अपने विचारों से सनातन धर्म की महत्ता, अनिवार्यता और ग्राह्यता के साथ इसके जागृति की आवश्यकता पर बल दिया।
विचार गोष्ठी में विभिन्न इकाइयों के पदाधिकारी ,कवि कवयित्री साहित्यकारों ने भाग लिया जिनमें सतीश शिकारी, शिल्पा पांड्या गीतकार मनोहर मधुकर , रतलाम, रामनिवास तिवारी आशुकवि निवाड़ी, प्रवल प्रताप सिंह राणा 'प्रवल', प्रतिभा सिंह, ग्रेटर नोएडा, मानव सिंह राणा 'सुओम', अलीगढ़, महेश प्रसाद शर्मा, मनोरमा मिश्रा, अयोध्या, पद्मा जोशी,प्रेम लता रसबिन्दु गोरखपुर,ओम प्रकाश श्रीवास्तव श्रीवास्तव कानपुर, राजीव रंजन मिश्र गोरखपुर, श्रीमती लक्ष्मी जोशी जावरा, रमेश कुमार द्विवेदी चंचल, सुल्तानपुर, प्रवीनू श्रीवास्तव, इंजी.प्रेम प्रकाश श्रीवास्तव, सीतापुर, ऋषि श्रीवास्तव निदा लखनऊ आदि रहे।
गोष्ठी का समापन करते हुए सनातन धर्म परिषद के राष्ट्रीय सचिव सुधीर श्रीवास्तव ने सभी का आभार, धन्यवाद व्यक्त कर सनातन की ताकत पर जोर दिया।